क्या लाभ दायक या नुक्सान दायक है वजन घटने वाली कीटो डाइट?

आजकल लोग एटकिंस डाइट को लेना पसंद करते क्यों की इसमें कम कार्बोहाइड्रेट वाले भोज्य पदार्थ शामिल थे, लेकिन अब कीटोजेनिक कहे जाने वाले आहार का चलन बढ़ रहा है. यह आहार शरीर को कार्बोहाइड्रेट के बजाय वसा जलाने के लिए मजबूर करता है. इस आहार ने वैज्ञानिकों का ध्यान भी खींचा है और उन्होंने इसके संभावित फायदों और नुकसान पर चर्चा शुरू कर दी है।

कीटो डाइट या कीटोजेनिक डाइट को अपना कर आजकल कई लोग खुद को फिट रखते हैं। कीटो डाइट में कम कार्बोहाइड्रेट वाले खाद्य पदार्थ शामिल किए जाते हैं।माना जाता है कि ज्यादा कार्बोहाइड्रेट वाले भोजन से शरीर में ग्लूकोज और इंसुलिन का उत्पादन होता है। इससे शरीर में फैट जमा होने लगता है, जबकि कीटो डाइट में कार्बोहाइड्रेट का सेवन कम करके फैट से ही ऊर्जा का उत्पादन किया जाता है। इस प्रक्रिया को कीटोसिस कहा जाता है। इसका प्रयोग करने वाले कहते हैं कि यह वजन घटाने का सबसे कारगर उपाय है और टाइप 2 मधुमेह वाले लोगों को अपने रक्त शर्करा के स्तर में नाटकीय रूप से सुधार करने में मदद कर सकता है।

इसमे कई आहार आते है जैसे चीज़, अवोकेडो, अंडे ,कोकोनट आयल,नट्स, सीड्स इतियादी .
कुछ डॉक्टरों का कहना है कि कीटो डाइट जल्दी वजन घटाने का कारण बन सकता है, लेकिन लम्बे समय तक चलने के मामलो में यह अन्य आहारों की तुलना में अधिक प्रभावी नहीं है। कुछ इसे चिंताजनक भी बताते हैं क्योंकि यह उच्च वसा वाले खाद्य पतार्थों को प्रोत्साहित करता है, जिनसे हृदय रोगों के होने की संभावना बढ़ जाती है।मोटापे और मधुमेह के उपचार के रूप में आहार के प्रति जागरूकता अच्छी है, पर ब्लड शुगर कंट्रोल करने के लिए कीटो डाइट लाभकारी नहीं है। इससे कब्ज, थकान के साथ-साथ कुछ लोगों में एलडीएल कोलेस्ट्रॉल कणों में वृद्धि हो सकती है जो हृदय रोग के जोखिम का प्रमुख कारण है।

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