२०२२ तक दुगनी होगी कृषि आय

मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में एक बड़े सुधार की तैयारी करती नज़र आ रही है. सरकार द्वारा देखा जा रहा है की देश में किस स्थान पर, किस मौसम में, कौन-सी फसल पैदा की जाए, इन सबके लिए सरकार एक बड़ा प्लान बनाने जा रही है. एक व्यापक फसल योजना बनाने की जिम्मेदारी इंडियन कौंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च (ICAR) को दी गई है. इसके लिए एक कमिटी भी बनाई गई है.इस कमिटी का नेतृत्व तेलंगाना स्टेट एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रोफेसर प्रवीण राव कर रहे हैं. यह कमिटी जलवायु दशा, मृदा स्वास्थ्य, जल की उपलब्धता और किसी पैदावार की अल्पकालिक या दीर्घकालिक मांग के आधार पर हर भौगोलिक क्षेत्र के लिए कई तरह के फसलों की पैदावार के लिए कई सुझाव देगी. असल में किसानों की आय दोगुनी करने के लिए बनी उच्च स्तरीय समिति ने एक प्रमुख सुझाव यह भी दिया था कि भारत में खेती की परिपाटी और व्यवस्था को नए सिरे से तलाशा जाए.

यह तय है की देश के किसानों की आय को 2022 तक दोगुना करने के लिए रणनीति के तहत सभी संभव उपायों की तलाश के लिए कृषि मंत्रालय शुरू से ही लग गया है.
मोदी सरकार 2.0 के पहले बजट के फौरन बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के नेतृत्व में राज्यों के कृषि मंत्रियों की बैठक में किसानों की आय बढ़ाने के अभियान में राज्यों का सक्रिय सहयोग मांगते हुए 10 सूत्रीय रूप रेखा बनाई थी. समिति ने फसलों का संक्रेंद्रण बढ़ाने, विविधीकरण, विकल्प तैयार करने, तात्कालिक आधार पर आपात योजना लागू करने, बाजार के ज्ञान पर आधारित फसल नियोजन और फसलों के इलाके एवं उत्पादन को नेतृत्व करने की व्यवस्था करने को कहा है ताकि जिंसों की ऊंची कीमतों पर रोक लगाया जा सके.

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