क्या है दुर्गा पूजा का इतिहास और महत्व? जाने

शारदीय नवरात्रि आश्विन माह की शुक्ल प्रतिपदा से लेकर विजयदशमी के दिन तक चलती है तो वहीँ इससे महानवरात्रि भी बोला जाता है। वैसे तो मां दुर्गा की पूजा का पर्व साल में चार बार आता है लेकिन साल में दो बार ही खासतौर से नवरात्रि पूजा की जाती है और वहीँ दोनों ही नवरात्रों में पूजा विधि लगभग समान रहती है।आपको बता दे आश्विन मास के शुक्ल पक्ष के नवरात्रों के बाद दशहरा यानि विजयदशमी का पर्व आता है। शरद ऋतु के आश्विन माह में आने के कारण इन्हें शारदीय नवरात्रों का नाम दिया गया है। नवरात्रि में मां भगवती के सभी 9 रूपों की पूजा अलग-अलग दिन की जाती है।
आपको सूचित कर दे इस बार शारदीय नवरात्र 29 सितंबर से आरंभ होगा। इस बार नवरात्र 10 दिनों का होगा। आठ अक्टूबर को विजया दशमी धूमधाम से मनायी जाएगी।

आपको बता दे हिंदुओं के सबसे खास त्योहारों में से एक नवरात्रि की धूम भारत में लगभग सभी जगहों पर देखने को मिलती है तो वहीँ इसे अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। जिसके पीछे कई सारी कहानियां प्रचलित हैं। ऐसा माना जाता है कि सबसे पहले भगवान श्रीराम ने इस शारदीय नवरात्रि पूजा की शुरुआत लंका पर चढाई करने से पहले समुद्र तट पर किया था जिससे वे श्रीलंका के राजा रावण पर विजय प्राप्त कर सकें। लगातार नौ दिनों तक मां दुर्गा की उपासना करने के बाद दसवें दिन उन्होंने लंका विजय के लिए प्रस्थान किया था। जिसमें रावण से घमासान युद्ध के बाद उनकी विजय हुई थी और माना जाता है कि तभी से असत्य, अधर्म पर सत्य व धर्म की जीत के पर्व को दशहरा के रूप में मनाया जाता है और दशहरे से पहले के नौ दिनों को नवरात्रि के रूप में मनाया जाता है।

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