एकादशी तिथि को करे पितरों का श्राद्ध

पितृ पक्ष में आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को अपने पितरों का श्राद्ध कर्म किया जाता है, इसे एकादशी श्राद्ध कहते हैं। कई जगहों पर एकादशी श्राद्ध को ग्यारस श्राद्ध भी कहा जाता है। जिन लोगों के परिजनों की मृत्यु एकादशी तिथि को हुई होती है, उनका श्राद्ध एकादशी तिथि के दिन ही किया जाता है। परिजनों का निधन कृष्ण पक्ष या शुक्ल पक्ष की किसी भी एकादशी तिथि को हुआ हो, उनका श्राद्ध आश्विन एकादशी को होता है।

आपको बता दे पितृ पक्ष श्राद्ध का प्रारंभ भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से हुआ था, जो आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तक चलेगा। श्राद्ध कर्म के लिए निर्धारित पितृ पक्ष की यह अवधि कुल 16 दिनों का होता है।

मान्यताओं के अनुसार, श्राद्ध का उत्तम समय कुतुप मुहूर्त और रोहिणी मुहूर्त आदि होता है। ऐसे समय में ही अपने पितरों के लिए श्राद्ध कर्म किया जाना चाहिए।

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